तत्वों का आवर्त वर्गीकरण – Class 10 Science Chapter 5 Notes in Hindi

दोस्त, सोचो अगर तुम्हारे पास 1000 किताबें हों और तुम्हें उनमें से कोई एक खास किताब ढूंढनी हो, तो क्या तुम बिना किसी सिस्टम के उसे आसानी से खोज पाओगे? नहीं ना! बस यही हाल विज्ञान में भी था। पुराने समय में वैज्ञानिकों को बहुत सारे तत्व तो मिल गए थे, लेकिन उन्हें समझने और सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए एक अच्छे वर्गीकरण (Classification) की जरूरत थी।

अब बात करते हैं “तत्वों के आवर्त वर्गीकरण” की। पहले वैज्ञानिकों ने कई तरीके अपनाए, जैसे डॉबरेनर के त्रिक नियम (Dobereiner’s Triads), न्यूलैंड्स का अष्टक नियम (Newland’s Law of Octaves), और मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev’s Periodic Table), लेकिन उनमें कई दिक्कतें थीं। फिर आया आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table), जिसे हेनरी मोसले ने तैयार किया। इसने सारे तत्वों को एक अच्छे सिस्टम में फिट कर दिया, जिससे हमें उनके गुणों को समझने में बहुत आसानी हुई।

तो आखिर तत्वों के वर्गीकरण की जरूरत क्यों थी?

  • वैज्ञानिकों को नए तत्वों की खोज और अध्ययन करने में सुविधा हो।
  • तत्वों के गुणों को आसानी से समझा और याद रखा जा सके।
  • रासायनिक अभिक्रियाओं (Chemical Reactions) को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिले।
  • विज्ञान को और व्यवस्थित (Systematic) बनाया जा सके।
Class 10 Science Chapter 5 Notes in Hindi

आज हम जिस आधुनिक आवर्त सारणी का इस्तेमाल करते हैं, वह विज्ञान की एक बड़ी जीत है। यह हमें बताती है कि किसी तत्व के गुण कैसे बदलते हैं और वह किससे जुड़ा हो सकता है। अगर तुम Class 10 Science Chapter 5 Notes in Hindi, Bihar board class 10 science chemistry chapter 5 notes को ध्यान से पढ़ोगे, तो यह टॉपिक तुम्हारे लिए बहुत आसान हो जाएगा।

अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि पुराने वैज्ञानिकों ने तत्वों को किस तरह से वर्गीकृत करने की कोशिश की थी! 😊

तत्वों का आवर्त वर्गीकरण – Class 10 Science Chapter 5 Notes in Hindi

अब जब हमें यह समझ आ गया कि तत्वों के वर्गीकरण की ज़रूरत क्यों थी, तो चलो अब जानते हैं कि शुरुआत में वैज्ञानिकों ने इसे कैसे किया।

शुरुआत में जब गिनती के कुछ ही तत्व थे, तब तो उन्हें याद रखना आसान था, लेकिन जैसे-जैसे नए तत्व खोजे गए, वैसे-वैसे उन्हें समझना और वर्गीकृत करना मुश्किल हो गया। इस चुनौती से निपटने के लिए कई वैज्ञानिकों ने अलग-अलग तरीके अपनाए। चलो, उनके बारे में थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं।

1. डॉबरेनर का त्रिक नियम (Dobereiner’s Triads) – 1817

जर्मनी के वैज्ञानिक डॉबरेनर (Johann Wolfgang Döbereiner) ने 1817 में एक दिलचस्प पैटर्न देखा। उन्होंने कुछ तत्वों को तीन-तीन (Triads) के समूह में रखा, जिसमें बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) पहले और तीसरे तत्व के द्रव्यमान का औसत होता था।

उदाहरण:

लिथियम (Li), सोडियम (Na), और पोटैशियम (K)

  • लिथियम = 7
  • पोटैशियम = 39
  • इनका औसत = (7 + 39) ÷ 2 = 23 (जो कि सोडियम का द्रव्यमान है)

समस्या:

  • यह नियम सिर्फ कुछ ही तत्वों पर लागू होता था।
  • जैसे-जैसे नए तत्व मिले, यह तरीका बेकार साबित हुआ।

2. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम (Newland’s Law of Octaves) – 1866

अंग्रेज़ वैज्ञानिक न्यूलैंड्स (John Newlands) ने 1866 में यह नियम दिया। उन्होंने देखा कि अगर तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) के क्रम में रखा जाए, तो हर आठवें तत्व के गुण पहले तत्व से मिलते हैं, ठीक वैसे ही जैसे संगीत में सप्तक (Octave) में हर आठवां सुर पहले सुर जैसा होता है।

उदाहरण:

  • हाइड्रोजन (H)
  • लिथियम (Li) – 8वां तत्व
  • सोडियम (Na) – 16वां तत्व

समस्या:

  • यह नियम हल्के तत्वों (Light Elements) पर तो लागू हुआ, लेकिन भारी तत्वों (Heavy Elements) के लिए फेल हो गया।
  • उन्होंने नए तत्वों के लिए जगह नहीं छोड़ी, जिससे यह वर्गीकरण अधूरा रह गया।

3. मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev’s Periodic Table) – 1869

अब तक जो नियम बनाए गए थे, वे सभी कुछ ही तत्वों तक सीमित थे। दिमित्री मेंडलीफ (Dmitri Mendeleev) ने 1869 में एक क्रांतिकारी तरीका अपनाया। उन्होंने तत्वों को परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) के आधार पर एक सारणी (Table) में व्यवस्थित किया।

मेंडलीफ की उपलब्धियाँ:

✅ उन्होंने तत्वों के गुणों के आधार पर उन्हें सही क्रम में रखा।
खाली स्थान छोड़े ताकि भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों को वहाँ फिट किया जा सके।
✅ कई तत्वों के गुणों की भविष्यवाणी की, जो बाद में सही साबित हुईं।

समस्या:
❌ उन्होंने हाइड्रोजन और हीलियम जैसे गैसों को सही जगह नहीं दिया।
❌ कुछ तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सही जगह पर नहीं रखा जा सका।

वैज्ञानिकों ने बहुत कोशिश की, लेकिन सही वर्गीकरण तब तक नहीं हो पाया जब तक आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) नहीं आई। मेंडलीफ की सारणी एक बड़ा कदम था, लेकिन उसमें भी कमियां थीं। इसी कमी को हेनरी मोसले (Henry Moseley) ने दूर किया, जिसकी चर्चा हम अगले भाग में करेंगे।

3. मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev’s Periodic Table)

अब तक हमने यह देखा कि डॉबरेनर और न्यूलैंड्स ने तत्वों के वर्गीकरण के लिए कई तरीके अपनाए, लेकिन उनके नियम सभी तत्वों पर लागू नहीं हो पाए। अब आता है सबसे बड़ा नाम—दिमित्री मेंडलीफ (Dmitri Mendeleev)

साल 1869 में, रूसी वैज्ञानिक मेंडलीफ ने तत्वों को व्यवस्थित करने के लिए एक नया तरीका अपनाया और पहली व्यवस्थित आवर्त सारणी (Periodic Table) बनाई। यह विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम था।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएँ

मेंडलीफ ने अपनी सारणी को परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) के आधार पर व्यवस्थित किया। उन्होंने पाया कि जब तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के अनुसार रखा जाता है, तो कुछ तत्वों के गुण समान दिखाई देते हैं। इसी आधार पर उन्होंने मेंडलीफ का आवर्त नियम (Mendeleev’s Periodic Law) दिया।

मेंडलीफ का आवर्त नियम:

“तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमान के आवर्ती फलन होते हैं।”
(अर्थात्, यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के अनुसार रखा जाए, तो समान गुणधर्म कुछ-कुछ तत्वों के बाद दोबारा दिखाई देते हैं।)

मेंडलीफ की आवर्त सारणी की मुख्य बातें

  • समरूपता (Periodic Nature): तत्वों को क्षारीय धातु (Alkali Metals), क्षारीय मृदा धातु (Alkaline Earth Metals), हैलोजन (Halogens), और गैसों आदि के आधार पर समूहों में बाँटा गया।
  • खाली स्थान छोड़ा: मेंडलीफ ने उन तत्वों के लिए खाली स्थान छोड़ा जो उस समय खोजे नहीं गए थे।, उदाहरण: उन्होंने अल्यूमिनियम (Al) और सिलिकॉन (Si) के नीचे खाली स्थान छोड़ा और इन्हें eka-Aluminium और eka-Silicon नाम दिया। बाद में जब गैलियम (Ga) और जर्मेनियम (Ge) खोजे गए, तो उनके गुण मेंडलीफ की भविष्यवाणी से मेल खा गए!
  • तत्वों का वर्गीकरण: उन्होंने 8 मुख्य समूह (Groups) और 6 आवर्त (Periods) बनाए।
  • गुणों की भविष्यवाणी: उन्होंने बताया कि तत्वों के गुण उनके स्थान से जुड़े होते हैं। यानी, अगर कोई तत्व एक खास समूह में है, तो उसके गुण उसी समूह के अन्य तत्वों से मिलते-जुलते होंगे।

मेंडलीफ की सारणी की सीमाएँ

मेंडलीफ की सारणी वैज्ञानिकों के लिए बहुत उपयोगी रही, लेकिन इसमें कुछ खामियाँ भी थीं:

  1. हाइड्रोजन की स्थिति स्पष्ट नहीं थी: हाइड्रोजन को समूह 1 (क्षारीय धातु) और समूह 7 (हैलोजन) दोनों में रखा गया था, जिससे भ्रम पैदा हुआ।
  2. कुछ तत्वों का परमाणु द्रव्यमान सही क्रम में नहीं था: उदाहरण: आयोडीन (I) और टेल्यूरियम (Te) को परमाणु द्रव्यमान के अनुसार सही क्रम में नहीं रखा जा सका।
  3. निष्क्रिय गैसों (Noble Gases) का कोई स्थान नहीं था: निष्क्रिय गैसें (हीलियम, नीयॉन, आर्गन) मेंडलीफ की सारणी में नहीं थीं क्योंकि इनकी खोज बाद में हुई।
  4. समावर्तन का नियम नहीं समझा गया: मेंडलीफ की सारणी में कुछ तत्वों के गुणों को ठीक से नहीं समझा जा सका।

मेंडलीफ की सारणी का महत्व

✅ इस सारणी ने वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद की कि तत्वों के गुण आपस में कैसे जुड़े होते हैं।
✅ इसने नए तत्वों की खोज के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिया।
✅ मेंडलीफ की सारणी ने आगे चलकर आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) के विकास की नींव रखी।

मेंडलीफ का यह योगदान विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ा था, और इसी के आधार पर आगे चलकर हेनरी मोसले (Henry Moseley) ने आधुनिक आवर्त सारणी तैयार की। अब अगले भाग में हम जानेंगे कि आधुनिक आवर्त सारणी कैसे बनी और कैसे इसने मेंडलीफ की कमियों को दूर किया। 😊

4. आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table)

मेंडलीफ की आवर्त सारणी ने तत्वों को व्यवस्थित करने में बहुत मदद की, लेकिन इसमें कुछ कमियाँ भी थीं। इन कमियों को दूर करने के लिए हेनरी मोसले (Henry Moseley) ने 1913 में एक नया नियम दिया, जिसे हम आधुनिक आवर्त नियम (Modern Periodic Law) कहते हैं। इसी नियम के आधार पर आज की आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) बनी।

आधुनिक आवर्त नियम (Modern Periodic Law)

“तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक (Atomic Number) के आवर्ती फलन होते हैं।”
(अर्थात्, यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के अनुसार रखा जाए, तो उनके गुणधर्म आवर्तिता (Periodic Nature) दर्शाते हैं।)

मेंडलीफ की सारणी परमाणु द्रव्यमान पर आधारित थी, जबकि आधुनिक आवर्त सारणी परमाणु क्रमांक पर आधारित है। यह एक बहुत बड़ा सुधार था क्योंकि परमाणु क्रमांक (Z) ही किसी तत्व की सही पहचान होती है।

आधुनिक आवर्त सारणी की संरचना (Structure of Modern Periodic Table)

👉 आधुनिक आवर्त सारणी में कुल 118 तत्व हैं।
👉 इसे 7 आवर्त (Periods) और 18 समूह (Groups) में विभाजित किया गया है।
👉 आवर्त (Periods) — ये पंक्तियाँ होती हैं और तत्वों की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को दर्शाती हैं।
👉 समूह (Groups) — ये स्तंभ होते हैं और तत्वों के समान गुणों को दिखाते हैं।

आवर्त (Periods) की संख्या: 7
  • पहला आवर्त (Period 1) → 2 तत्व (H, He)
  • दूसरा और तीसरा आवर्त (Periods 2 & 3) → 8-8 तत्व
  • चौथा और पाँचवाँ आवर्त (Periods 4 & 5) → 18-18 तत्व
  • छठा और सातवाँ आवर्त (Periods 6 & 7) → 32-32 तत्व
समूह (Groups) की संख्या: 18
  • समूह 1 (Alkali Metals) → Li, Na, K, Rb, Cs, Fr
  • समूह 2 (Alkaline Earth Metals) → Be, Mg, Ca, Sr, Ba, Ra
  • समूह 17 (Halogens) → F, Cl, Br, I, At
  • समूह 18 (Noble Gases) → He, Ne, Ar, Kr, Xe, Rn

इसके अलावा, लैंथेनाइड (Lanthanides) और एक्टिनाइड (Actinides) श्रृंखला को अलग से रखा गया है।

आधुनिक आवर्त सारणी की विशेषताएँ

परमाणु क्रमांक के आधार पर वर्गीकरण: तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक (Z) के अनुसार क्रमबद्ध किया गया है, जिससे उनका सही स्थान निर्धारित किया गया।

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्वों का वर्गीकरण: तत्वों के गुणधर्म उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration) से प्रभावित होते हैं।

समूहों में समान गुणधर्म: एक ही समूह के सभी तत्वों के गुण मिलते-जुलते हैं।

संक्रमण तत्वों (Transition Elements) के लिए अलग स्थान: संक्रमण तत्वों को समूह 3 से 12 में रखा गया है।

निष्क्रिय गैसों (Noble Gases) का समावेश: अब निष्क्रिय गैसों (He, Ne, Ar…) को अंतिम समूह (Group 18) में रखा गया है।

मेंडलीफ और आधुनिक आवर्त सारणी में अंतर

तत्वमेंडलीफ की आवर्त सारणीआधुनिक आवर्त सारणी
आधारपरमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)परमाणु क्रमांक (Atomic Number)
समस्याएँकुछ तत्व गलत क्रम में थे, हाइड्रोजन की स्थिति स्पष्ट नहीं थीइन समस्याओं को हल कर दिया गया
निष्क्रिय गैसेंनहीं थींसमाविष्ट की गईं
खाली स्थानकुछ नए तत्वों के लिए खाली स्थान छोड़ा गया थासभी ज्ञात तत्वों को व्यवस्थित कर दिया गया
समूहों की संख्या8 समूह18 समूह
आवर्तों की संख्या6 आवर्त7 आवर्त

आधुनिक आवर्त सारणी का महत्व

सभी 118 ज्ञात तत्वों को व्यवस्थित करने में मदद की।
नए तत्वों की खोज और उनके गुणों की भविष्यवाणी आसान हो गई।
तत्वों के बीच संबंध को बेहतर ढंग से समझा जा सका।
रासायनिक अभिक्रियाओं (Chemical Reactions) को समझने में सहायक बनी।

आज विज्ञान में जितनी भी खोजें हो रही हैं, वे आधुनिक आवर्त सारणी के आधार पर ही हो रही हैं। इससे हम यह जान सकते हैं कि किसी भी तत्व का व्यवहार कैसा होगा और वह किसके साथ प्रतिक्रिया करेगा।

अब तक हमने देखा कि कैसे डॉबरेनर, न्यूलैंड्स और मेंडलीफ ने तत्वों को व्यवस्थित करने की कोशिश की और अंत में हेनरी मोसले ने इसे सही दिशा में ले जाकर आधुनिक आवर्त सारणी बनाई।

5. आवर्तता (Periodic Trends)

जब तत्वों को आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) में उनके परमाणु क्रमांक (Atomic Number) के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो उनके भौतिक और रासायनिक गुणों में एक निश्चित दोहराव (आवर्तता) देखा जाता है। इसे ही आवर्त प्रवृत्तियाँ (Periodic Trends) कहते हैं।

आइए, अब कुछ महत्वपूर्ण आवर्त प्रवृत्तियों को आसान शब्दों में समझते हैं। 😊

1️⃣ परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius)

👉 परिभाषा: परमाणु त्रिज्या किसी तत्व के परमाणु के केंद्र से सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन तक की दूरी होती है।

🔹 आवर्त में (Left to Right): कम होती है

  • परमाणु क्रमांक बढ़ने से नाभिकीय आवेश (Nuclear Charge) बढ़ता है, जिससे इलेक्ट्रॉन को अधिक आकर्षण मिलता है और वे नाभिक के पास खिंच जाते हैं।
  • उदाहरण: Na > Mg > Al > Si > P > S > Cl > Ar

🔹 समूह में (Top to Bottom): बढ़ती है

  • क्योंकि नए कोश (Shells) जुड़ते जाते हैं, जिससे बाहरी इलेक्ट्रॉन और नाभिक के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
  • उदाहरण: Li < Na < K < Rb < Cs

2️⃣ आयनिक त्रिज्या (Ionic Radius)

👉 परिभाषा: किसी आयन का आकार (cation या anion) उसकी परमाणु त्रिज्या से थोड़ा अलग होता है।

🔹 धनायन (Cation, +ve ion) की त्रिज्या छोटी होती है

  • जैसे Na⁺ की त्रिज्या Na से कम होती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन निकालने से आकर्षण बढ़ जाता है।
  • Na⁺ < Na

🔹 ऋणायन (Anion, -ve ion) की त्रिज्या बड़ी होती है

  • जैसे Cl⁻ की त्रिज्या Cl से अधिक होती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन बढ़ने से प्रतिकर्षण (repulsion) बढ़ जाता है।
  • Cl⁻ > Cl

3️⃣ आयनीकरण ऊर्जा (Ionization Energy – IE)

👉 परिभाषा: किसी तटस्थ परमाणु से सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनीकरण ऊर्जा कहते हैं।

🔹 आवर्त में (Left to Right): बढ़ती है

  • क्योंकि परमाणु का आकार छोटा होता जाता है और नाभिकीय आकर्षण बढ़ जाता है, जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना मुश्किल हो जाता है।
  • Na < Mg < Al < Si < P < S < Cl < Ar

🔹 समूह में (Top to Bottom): कम होती है

  • क्योंकि बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते हैं और उन्हें निकालने में कम ऊर्जा लगती है।
  • Li > Na > K > Rb > Cs

4️⃣ वैद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity – EN)

👉 परिभाषा: किसी परमाणु का कोवेलेन्ट बंध में बंधे हुए इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर खींचने की क्षमता को वैद्युत ऋणात्मकता कहते हैं।

🔹 आवर्त में (Left to Right): बढ़ती है

  • क्योंकि नाभिकीय आकर्षण बढ़ जाता है और परमाणु छोटे हो जाते हैं।
  • Na < Mg < Al < Si < P < S < Cl < F

🔹 समूह में (Top to Bottom): कम होती है

  • क्योंकि बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते हैं और नाभिकीय आकर्षण कमजोर हो जाता है।
  • F > Cl > Br > I > At

सबसे अधिक वैद्युत ऋणात्मक तत्व: फ्लोरीन (F)
सबसे कम वैद्युत ऋणात्मक तत्व: सीज़ियम (Cs) और फ्रैंशियम (Fr)

5️⃣ धात्विक एवं अधात्विक गुण (Metallic & Non-Metallic Character)

🔹 धात्विक गुण (Metallic Character)

  • वह गुण जिससे कोई तत्व इलेक्ट्रॉन छोड़कर धनायन (Cation) बनाता है, धात्विक गुण कहलाता है।
  • यह आवर्त में कम होता है (Left to Right) और समूह में बढ़ता है (Top to Bottom)
  • Na > Mg > Al > Si > P > S > Cl

🔹 अधात्विक गुण (Non-Metallic Character)

  • वह गुण जिससे कोई तत्व इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन (Anion) बनाता है, अधात्विक गुण कहलाता है।
  • यह आवर्त में बढ़ता है (Left to Right) और समूह में कम होता है (Top to Bottom)
  • F > Cl > Br > I > At

6️⃣ इलेक्ट्रॉन-आवेशन-एंथैल्पी (Electron Gain Enthalpy – EGE)

👉 परिभाषा: किसी परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने पर उत्पन्न ऊर्जा परिवर्तन को इलेक्ट्रॉन-आवेशन-एंथैल्पी कहते हैं।

🔹 आवर्त में (Left to Right): बढ़ती है

  • क्योंकि परमाणु छोटे होते जाते हैं और इलेक्ट्रॉन को अधिक आकर्षित करते हैं।

🔹 समूह में (Top to Bottom): कम होती है

  • क्योंकि परमाणु बड़े होते जाते हैं और बाहरी इलेक्ट्रॉन पर आकर्षण कम होता है।

सबसे अधिक इलेक्ट्रॉन-आवेशन-एंथैल्पी: क्लोरीन (Cl)
सबसे कम इलेक्ट्रॉन-आवेशन-एंथैल्पी: नियमित गैसें (Noble Gases)

👉 सारांश (Summary Table of Periodic Trends)

आवर्त प्रवृत्तिआवर्त में (Left to Right)समूह में (Top to Bottom)
परमाणु त्रिज्याघटती है ⬇️बढ़ती है ⬆️
आयनिक त्रिज्याघटती है ⬇️बढ़ती है ⬆️
आयनीकरण ऊर्जाबढ़ती है ⬆️घटती है ⬇️
वैद्युत ऋणात्मकताबढ़ती है ⬆️घटती है ⬇️
धात्विक गुणघटता है ⬇️बढ़ता है ⬆️
अधात्विक गुणबढ़ता है ⬆️घटता है ⬇️
इलेक्ट्रॉन-आवेशन-एंथैल्पीबढ़ती है ⬆️घटती है ⬇️

6. तत्वों का समूहों में वर्गीकरण (Classification of Elements into Groups)

जब हम आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) को ध्यान से देखते हैं, तो हमें यह पता चलता है कि सभी तत्वों को समूहों (Groups) और आवर्तों (Periods) में व्यवस्थित किया गया है। इसमें 18 समूह (Groups) और 7 आवर्त (Periods) होते हैं।

👉 समूह (Groups) – ये ऊर्ध्वाधर (Vertical) होते हैं और समान गुणों वाले तत्वों को एक साथ रखते हैं।
👉 आवर्त (Periods) – ये क्षैतिज (Horizontal) होते हैं और तत्वों की बढ़ती हुई परमाणु संख्या को दर्शाते हैं।

अब हम तत्वों के समूहों को आसान भाषा में समझते हैं! 😊

1️⃣ समूह 1: क्षारीय धातु (Alkali Metals)

तत्व: Li (लिथियम), Na (सोडियम), K (पोटैशियम), Rb (रुबिडियम), Cs (सीज़ियम), Fr (फ्रैंशियम)

🔹 ये सभी बहुत क्रियाशील (Highly Reactive) होते हैं।
🔹 ये जल के साथ तीव्र प्रतिक्रिया करते हैं और क्षार (Base) बनाते हैं, इसलिए इन्हें क्षारीय धातु कहा जाता है।
🔹 ये अपने बाहरी कक्षा (Valence Shell) में 1 इलेक्ट्रॉन रखते हैं और आसानी से इलेक्ट्रॉन खोकर धनायन (Cation) बनाते हैं
🔹 Na + H₂O → NaOH + H₂ (गैस निकलती है)

2️⃣ समूह 2: क्षारीय पृथ्वी धातु (Alkaline Earth Metals)

तत्व: Be (बेरिलियम), Mg (मैग्नीशियम), Ca (कैल्शियम), Sr (स्ट्रोंशियम), Ba (बेरियम), Ra (रेडियम)

🔹 ये भी धातुएँ (Metals) हैं लेकिन क्षारीय धातुओं की तुलना में कम क्रियाशील होती हैं
🔹 ये अपने बाहरी कक्षा में 2 इलेक्ट्रॉन रखते हैं और +2 आवेशित आयन (Cation) बनाते हैं
🔹 Ca + H₂O → Ca(OH)₂ + H₂ (गैस निकलती है)

3️⃣ समूह 13: बोरॉन समूह (Boron Group)

तत्व: B (बोरॉन), Al (ऐलुमिनियम), Ga (गैलियम), In (इंडियम), Tl (थैलियम)

🔹 बोरॉन अधातु (Non-metal) है, जबकि बाकी सभी धातु (Metals) हैं।
🔹 ये 3 इलेक्ट्रॉन छोड़कर +3 आयन बनाते हैं
🔹 ऐलुमिनियम सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, जिसका उपयोग एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स और निर्माण कार्यों में किया जाता है

4️⃣समूह 14: कार्बन समूह (Carbon Group)

तत्व: C (कार्बन), Si (सिलिकॉन), Ge (जर्मेनियम), Sn (टिन), Pb (लेड)

🔹 कार्बन एक अनोखा तत्व है, जो जीवन का आधार है।
🔹 सिलिकॉन और जर्मेनियम उपधातु (Metalloids) हैं, जिनका उपयोग अर्धचालक (Semiconductors) में किया जाता है
🔹 टिन और लेड धातुएँ हैं, जिनका उपयोग सोल्डरिंग और बैटरियों में होता है

5️⃣ समूह 15: नाइट्रोजन समूह (Nitrogen Group)

तत्व: N (नाइट्रोजन), P (फॉस्फोरस), As (आर्सेनिक), Sb (ऐंटिमनी), Bi (बिस्मथ)

🔹 नाइट्रोजन गैस (N₂) वातावरण में 78% पाई जाती है
🔹 फॉस्फोरस खाद्य उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🔹 आर्सेनिक और ऐंटिमनी उपधातु (Metalloids) हैं।

6️⃣ समूह 16: ऑक्सीजन समूह / कैल्कोजेन्स (Oxygen Group / Chalcogens)

तत्व: O (ऑक्सीजन), S (सल्फर), Se (सेलेनियम), Te (टेल्यूरियम), Po (पोलोनियम)

🔹 ऑक्सीजन जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।
🔹 सल्फर का उपयोग औषधीय उत्पादों और उर्वरकों में किया जाता है
🔹 सेलेनियम और टेल्यूरियम उपधातु (Metalloids) हैं।

7️⃣ समूह 17: हैलोजन समूह (Halogens)

तत्व: F (फ्लोरीन), Cl (क्लोरीन), Br (ब्रोमीन), I (आयोडीन), At (ऐस्टेटीन)

🔹 ये सभी बहुत अधिक क्रियाशील अधातु (Highly Reactive Non-Metals) होते हैं।
🔹 इनकी बाहरी कक्षा में 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं, इसलिए ये 1 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन (-1) बनाते हैं
🔹 फ्लोरीन सबसे अधिक वैद्युत ऋणात्मक तत्व है।
🔹 Na + Cl → NaCl (सामान्य नमक बनता है)

8️⃣ समूह 18: नोबल गैसें (Noble Gases)

तत्व: He (हीलियम), Ne (निऑन), Ar (आर्गन), Kr (क्रिप्टॉन), Xe (जेनॉन), Rn (रेडॉन)

🔹 ये सभी अक्रिय गैसें (Inert Gases) होती हैं, क्योंकि इनकी बाहरी कक्षा पूर्ण (Full Valence Shell) होती है
🔹 ये किसी अन्य तत्व के साथ प्रतिक्रिया नहीं करतीं
🔹 आर्गन का उपयोग बिजली के बल्बों में किया जाता है
🔹 हीलियम सबसे हल्की गैस है और गुब्बारों में भरी जाती है।

🔍 निष्कर्ष (Conclusion)

अब तक हमने “तत्वों का आवर्त वर्गीकरण” से जुड़े सभी महत्वपूर्ण टॉपिक्स को विस्तार से समझा। चलिए इसे एक सरल भाषा में सारांश के रूप में दोबारा देखते हैं—

प्रारंभिक वर्गीकरण – हमने देखा कि पहले तत्वों को उनके साधारण गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया गया था, लेकिन इसमें कई कमियाँ थीं।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी – यह पहली सारणी थी जो तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) के आधार पर व्यवस्थित करती थी, लेकिन इसमें भी कुछ कमियाँ थीं।
आधुनिक आवर्त सारणी – इसमें तत्वों को परमाणु क्रमांक (Atomic Number) के आधार पर व्यवस्थित किया गया, जिससे यह अधिक वैज्ञानिक और उपयोगी बनी।
आवर्तता (Periodic Trends) – तत्वों के गुण आवर्त सारणी में एक निश्चित पैटर्न में बदलते हैं, जैसे आयनिक त्रिज्या, इलेक्ट्रॉन विन्यास, वैद्युत ऋणात्मकता आदि
तत्वों का समूहों में वर्गीकरण – हमने देखा कि सभी तत्वों को 18 समूहों और 7 आवर्तों में विभाजित किया गया, जिसमें क्षारीय धातु, हैलोजन, नोबल गैसें, अधातु, उपधातु आदि आते हैं।

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