भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है जिसने भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचे को बदलकर रख दिया। 18वीं सदी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे-धीरे अपने व्यापारिक हितों को सैन्य और राजनीतिक नियंत्रण में बदल दिया।
इस लेख में हम ‘Bihar Board Class 8 History Chapter 2 Notes’ के अनुसार इस प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे और समझेंगे कि कैसे अंग्रेजों ने भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notes-भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन:- अंग्रेजों का भारत में आगमन 1600 ई. में हुआ जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम ने भारत में व्यापार करने का अधिकार प्रदान किया। इसके बाद, कंपनी ने भारत के विभिन्न हिस्सों में व्यापारिक केंद्र स्थापित किए। अंग्रेजों का मुख्य उद्देश्य भारत से मसाले, रेशम, सूती कपड़े और अन्य कीमती वस्त्रों का व्यापार करना था।
- व्यापार से साम्राज्य तक: व्यापार के माध्यम से अंग्रेजों ने स्थानीय शासकों और जनता के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। धीरे-धीरे, कंपनी ने व्यापार के अलावा स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू किया और भारतीय शासकों के बीच की आपसी फूट का लाभ उठाकर अपनी सत्ता बढ़ाई।
- प्लासी का युद्ध (1757): प्लासी का युद्ध 1757 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय ने उन्हें बंगाल पर नियंत्रण स्थापित करने का अवसर प्रदान किया।
युद्ध के कारण: सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच व्यापारिक और राजनीतिक मतभेद थे। सिराजुद्दौला को अंग्रेजों की बढ़ती ताकत और उनके किलेबंदी के कार्यों पर आपत्ति थी।
अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला के खिलाफ षड्यंत्र रचा और मीर जाफर को समर्थन देकर युद्ध में विजय प्राप्त की।
परिणाम:
- प्लासी की विजय के बाद, अंग्रेजों ने बंगाल पर अपने राजनीतिक नियंत्रण को स्थापित किया।
- मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया, लेकिन वह अंग्रेजों का कठपुतली शासक बनकर रह गया।
- इस विजय ने अंग्रेजों को भारत में एक मजबूत आधार प्रदान किया।
बक्सर का युद्ध (1764): बक्सर का युद्ध अंग्रेजों और संयुक्त भारतीय सेनाओं के बीच लड़ा गया, जिसमें बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला, और मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय शामिल थे।
कारण: मीर कासिम ने अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती दी और अपने खोए हुए अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के लिए शुजाउद्दौला और शाह आलम से मिलकर युद्ध किया।
परिणाम:
- बक्सर की लड़ाई में अंग्रेजों की विजय हुई, जिससे उन्होंने बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर अधिकार कर लिया।
- अंग्रेजों को अवध और दिल्ली के शासकों से भारी कर और अधिकार प्राप्त हुए, जिससे उन्हें भारत के बड़े हिस्से पर प्रभुत्व मिला।
द्वैध शासन की स्थापना: प्लासी और बक्सर के युद्धों के बाद, अंग्रेजों ने भारत में एक नई प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की जिसे “द्वैध शासन” कहा जाता है। इसमें प्रशासनिक शक्तियां तो भारतीय शासकों के पास थीं, लेकिन आर्थिक और सैन्य नियंत्रण अंग्रेजों के हाथों में था। इस प्रणाली ने अंग्रेजों को भारत में सत्ता विस्तार करने का मार्ग प्रशस्त किया।
द्वैध शासन के परिणाम:
- बंगाल और अन्य क्षेत्रों में अंग्रेजों का प्रभाव और बढ़ा।
- भारतीय शासक केवल नाम मात्र के शासक रह गए और वास्तविक सत्ता अंग्रेजों के हाथों में आ गई।
- जनता पर अत्यधिक कर लगाए गए, जिससे आम लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी।
भारतीय समाज और अंग्रेजों की नीतियां: अंग्रेजों ने भारत पर अपना राजनीतिक और आर्थिक नियंत्रण स्थापित करने के लिए कई नीतियों को अपनाया। इनमें से कुछ प्रमुख नीतियां इस प्रकार थीं:
- संधि और अधिग्रहण नीति: अंग्रेजों ने भारतीय रियासतों के साथ संधियाँ कीं और उनकी सेना को नियंत्रित किया। इसके अलावा, उन्होंने छोटे राज्यों को मिलाकर अपने अधीन कर लिया।
- स्थायी बंदोबस्त (1793): लॉर्ड कॉर्नवॉलिस द्वारा बंगाल में स्थायी बंदोबस्त लागू किया गया, जिसके तहत किसानों से सीधे कर वसूली की व्यवस्था की गई। इससे भारतीय किसानों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा।\
- डॉक्टरीन ऑफ लैप्स (हड़प नीति): लॉर्ड डलहौजी ने हड़प नीति लागू की, जिसके तहत अगर किसी भारतीय राजा के कोई पुत्र नहीं होता था, तो उसकी रियासत को अंग्रेजों के अधीन कर लिया जाता था। इस नीति के तहत अंग्रेजों ने कई रियासतों पर अधिकार कर लिया।
- भारतीय प्रतिरोध: अंग्रेजों की अत्यधिक कर नीतियों और शासन की कठोरता के कारण भारतीय समाज में असंतोष उत्पन्न हुआ। किसानों, सैनिकों और व्यापारियों के बीच विद्रोह की लहरें उठने लगीं।
सन्यासी और फकीर विद्रोह: बंगाल में किसानों और साधु-संतों ने अंग्रेजों की कर वसूली और अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह किया।
- चुआर विद्रोह: बंगाल और बिहार के आदिवासियों ने अंग्रेजों की कर नीति और शोषण के खिलाफ विद्रोह किया।
- 1857 का विद्रोह: अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बड़ा विद्रोह 1857 में हुआ, जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम या सिपाही विद्रोह के नाम से जाना जाता है। इस विद्रोह में भारतीय सैनिकों, किसानों और शासकों ने एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया।
विद्रोह के कारण:
- अंग्रेजों की सैन्य नीतियों से भारतीय सैनिकों में असंतोष था।
- आर्थिक शोषण और सामाजिक हस्तक्षेप के कारण आम जनता अंग्रेजों से असंतुष्ट थी।
परिणाम:
- हालांकि यह विद्रोह सफल नहीं हो पाया, लेकिन इसने अंग्रेजों को भारतीय जनता की एकजुटता और असंतोष का संकेत दे दिया।
- इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर भारत का शासन सीधे अपने अधीन कर लिया।
निष्कर्ष:
भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना एक लंबी प्रक्रिया थी, जो व्यापारिक उद्देश्यों से शुरू हुई और राजनीतिक और सैन्य नियंत्रण में बदल गई। अंग्रेजों ने भारतीय शासकों की कमजोरियों का लाभ उठाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। प्लासी और बक्सर के युद्धों के बाद अंग्रेजों ने भारत में अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला। ‘Bihar Board Class 8 History Chapter 2 Notes’ के अनुसार यह समझना महत्वपूर्ण है कि अंग्रेजी राज्य की स्थापना ने भारतीय समाज के विभिन्न क्षेत्रों को कैसे प्रभावित किया और इसके परिणामस्वरूप भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की लहरें उठीं।