ऊर्जा संसाधन – Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1D Notes

ऊर्जा संसाधन किसी भी देश के विकास और उसकी आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक हैं। ऊर्जा के बिना न तो उद्योग-धंधे चल सकते हैं, न ही कृषि और परिवहन के कार्य सुचारु रूप से हो सकते हैं।

यह लेख ‘Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1D Notes’ के अनुसार ऊर्जा संसाधनों का विश्लेषण करेगा और इनके प्रकार, महत्व, समस्याएं, और संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालेगा।

Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1D Notes-ऊर्जा संसाधन

ऊर्जा संसाधन:- ऊर्जा संसाधन वे स्रोत हैं जिनसे ऊर्जा प्राप्त की जाती है। यह ऊर्जा विभिन्न कार्यों को संचालित करने के लिए उपयोग की जाती है, जैसे – बिजली उत्पादन, मशीनों का संचालन, परिवहन, और घरेलू उपयोग। ऊर्जा के मुख्य स्रोतों में कोयला, पेट्रोलियम, गैस, जल, और सूर्य शामिल हैं।

ऊर्जा संसाधनों के प्रकार: ऊर्जा संसाधनों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:

पारंपरिक ऊर्जा संसाधन: ये वे संसाधन हैं जिनका उपयोग मानव समाज द्वारा लंबे समय से किया जा रहा है। इनमें कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, लकड़ी और जलविद्युत शामिल हैं।

  • कोयला: यह सबसे पुराना और प्रमुख ऊर्जा स्रोत है जिसका उपयोग बिजली उत्पादन और उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जाता है।
  • पेट्रोलियम: इसे कच्चा तेल भी कहा जाता है, और यह ऊर्जा उत्पादन, परिवहन, और उद्योगों के लिए आवश्यक है।
  • प्राकृतिक गैस: यह एक साफ ईंधन है जिसे पेट्रोलियम के साथ निकाला जाता है।
  • जलविद्युत: यह जल से उत्पन्न ऊर्जा है और इसे विद्युत उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।

अपरंपरागत ऊर्जा संसाधन: ये संसाधन आधुनिक समय में अधिक उपयोगी होते जा रहे हैं। ये पर्यावरण के अनुकूल और अक्षय होते हैं। इनमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस, और परमाणु ऊर्जा शामिल हैं।

  • सौर ऊर्जा: सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा, जिसे सौर पैनलों के माध्यम से बिजली में बदला जाता है।
  • पवन ऊर्जा: हवा की गति से टरबाइन चलाकर बिजली उत्पन्न की जाती है।
  • बायोगैस: जैविक पदार्थों के अपघटन से उत्पन्न गैस, जिसका उपयोग खाना पकाने और बिजली उत्पादन में होता है।
  • परमाणु ऊर्जा: यह ऊर्जा परमाणु विखंडन से प्राप्त होती है और बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है।

ऊर्जा संसाधनों का महत्व: ऊर्जा संसाधन किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इनके बिना कोई भी आधुनिक समाज या उद्योग संचालित नहीं हो सकता। इसके महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

औद्योगिक उत्पादन: उद्योगों में मशीनों के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। बिना ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव नहीं है।

  • परिवहन: सभी प्रकार के परिवहन जैसे ट्रक, कार, ट्रेन, और विमान ऊर्जा पर निर्भर करते हैं।
  • घरेलू उपयोग: घरों में खाना पकाने, बिजली, पानी गरम करने और अन्य घरेलू कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • कृषि: सिंचाई पंप, ट्रैक्टर, और अन्य कृषि उपकरण ऊर्जा पर निर्भर करते हैं।
  • आधुनिक तकनीक: कंप्यूटर, इंटरनेट, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सभी ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

ऊर्जा संसाधनों की समस्याएं:
ऊर्जा संसाधनों के उपयोग में कई समस्याएं भी आती हैं। इनमें प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  • सीमितता: पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस सीमित हैं और इनके अत्यधिक उपयोग से ये तेजी से समाप्त हो रहे हैं।
  • प्रदूषण: पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों का उपयोग पर्यावरण को प्रदूषित करता है। कोयला और पेट्रोलियम के दहन से वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।
  • ऊर्जा संकट: कई देशों में ऊर्जा की आपूर्ति और मांग के बीच अंतर है, जिससे ऊर्जा संकट उत्पन्न हो रहा है।
  • महंगा: पेट्रोलियम और गैस के बढ़ते दामों के कारण इनका उपयोग महंगा होता जा रहा है।
  • अक्षय ऊर्जा का धीमा विकास: अपरंपरागत ऊर्जा स्रोतों का विकास धीमा हो रहा है, जबकि इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है।

ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण: ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण के कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:

  • ऊर्जा की बचत: बिजली की खपत को कम करने के लिए ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करना चाहिए ताकि व्यक्तिगत वाहनों के उपयोग से होने वाले ईंधन की बचत हो सके।
  • अक्षय ऊर्जा संसाधनों का विकास: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और बायोगैस जैसी अक्षय ऊर्जा स्रोतों का अधिक से अधिक उपयोग बढ़ाना चाहिए। सरकार और निजी कंपनियों को अक्षय ऊर्जा पर निवेश करना चाहिए ताकि इसकी लागत कम हो और उपयोग में वृद्धि हो।
  • जागरूकता अभियान: ऊर्जा संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। स्कूल और कॉलेजों में ऊर्जा संरक्षण की शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • ऊर्जा कुशल तकनीक का उपयोग: उद्योगों और घरों में ऊर्जा कुशल उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। ऊर्जा कुशल उपकरणों से बिजली की खपत कम होती है और लंबी अवधि में आर्थिक रूप से लाभकारी होते हैं।

भारत में ऊर्जा संसाधनों की स्थिति: भारत में ऊर्जा संसाधनों की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत मुख्य रूप से कोयला, पेट्रोलियम, और जलविद्युत पर निर्भर है, लेकिन अक्षय ऊर्जा स्रोतों का भी तेजी से विकास हो रहा है। भारत सरकार सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है।

  • सौर ऊर्जा: भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में विश्व में अग्रणी स्थान पर है। कई बड़े सोलर प्लांट्स स्थापित किए गए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ रहा है।
  • पवन ऊर्जा: भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण विकास हो रहा है। तमिलनाडु, गुजरात, और राजस्थान जैसे राज्यों में पवन ऊर्जा परियोजनाएं सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं।
  • परमाणु ऊर्जा: भारत में परमाणु ऊर्जा का भी विकास हो रहा है। यह ऊर्जा उत्पादन का एक स्वच्छ और प्रभावी स्रोत है, लेकिन इसे अधिक सुरक्षित और नियंत्रित ढंग से उपयोग करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

ऊर्जा संसाधन किसी भी देश के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनका संतुलित उपयोग और संरक्षण न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करने और अक्षय ऊर्जा संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में काम करना चाहिए।

इस लेख में ‘Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1D Notes‘ के अनुसार ऊर्जा संसाधनों का विस्तृत अध्ययन किया गया है। छात्र इस लेख के माध्यम से ऊर्जा संसाधनों के महत्व, समस्याओं और संरक्षण के उपायों को अच्छी तरह समझ सकेंगे, जिससे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।

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