ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा – Bihar Board class 8 social science history chapter 7 notes

भारत में ब्रिटिश शासन ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में गहरा प्रभाव डाला, जिनमें शिक्षा प्रणाली भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था। ब्रिटिशों के आगमन के साथ ही भारत की पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव आए। इस अध्याय में हम ब्रिटिश शासन के तहत भारत में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों और उनकी नीतियों का विश्लेषण करेंगे।

Bihar Board class 8 social science history chapter 5 notes

Bihar Board Class 8 History Chapter 7 Notes” के अनुसार, ब्रिटिशों ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और समाज को अपने अनुसार ढालने के लिए शिक्षा को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।

Bihar Board class 8 social science history chapter 7 notes-ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा

भारत में पारंपरिक शिक्षा प्रणाली:- ब्रिटिश शासन से पहले, भारत की शिक्षा प्रणाली पारंपरिक रूप से गुरुकुल, मदरसे, और पाठशालाओं पर आधारित थी। इस प्रणाली में छात्रों को धार्मिक, नैतिक, और व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता था।

  • गुरुकुल और पाठशालाएँ: गुरुकुल भारतीय शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था जहाँ छात्र अपने गुरु के संरक्षण में अध्ययन करते थे। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के नैतिक और सामाजिक विकास पर आधारित था। गुरुकुल में विभिन्न विषय जैसे धर्म, दर्शन, विज्ञान, गणित, और संस्कृत की शिक्षा दी जाती थी।
  • मदरसे: मुस्लिम समाज के लिए मदरसे प्रमुख शिक्षा संस्थान थे, जहाँ छात्रों को इस्लामी ज्ञान और अरबी भाषा की शिक्षा दी जाती थी। मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ विज्ञान और गणित की शिक्षा भी दी जाती थी।

परंपरागत शिक्षा प्रणाली की विशेषताएँ

  • धार्मिक और नैतिक शिक्षा पर जोर: पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में धर्म और नैतिकता पर विशेष ध्यान दिया जाता था।
  • साधारण जीवनशैली: गुरुकुल और मदरसे में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को साधारण जीवन जीने की शिक्षा दी जाती थी।
  • छात्र-गुरु संबंध: गुरुकुल व्यवस्था में छात्र और गुरु के बीच गहरा संबंध होता था। शिक्षा का माध्यम मौखिक होता था और पुस्तकों का प्रयोग बहुत कम होता था।
  • ब्रिटिशों का शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण: जब ब्रिटिशों ने भारत में अपना शासन स्थापित किया, तो उन्होंने शिक्षा को एक ऐसा साधन माना जिसके माध्यम से वे भारतीयों को अपने अनुसार ढाल सकते थे। ब्रिटिशों के दृष्टिकोण से, भारत में शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य प्रशासनिक वर्ग तैयार करना था, जो अंग्रेजी शासन के तहत काम कर सके। इसके लिए उन्होंने पश्चिमी शिक्षा प्रणाली को लागू किया और भारतीयों को अंग्रेजी भाषा और संस्कृति से परिचित कराया।
  • चार्टर एक्ट 1813: चार्टर एक्ट 1813 भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस एक्ट के तहत ब्रिटिश सरकार ने पहली बार शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की। ब्रिटिश सरकार ने 1 लाख रुपये वार्षिक राशि शिक्षा के लिए निर्धारित की। इस एक्ट का उद्देश्य भारत में पश्चिमी शिक्षा को बढ़ावा देना था।
  • मैकॉले का मिनट (1835): लॉर्ड मैकॉले का मिनट 1835 में ब्रिटिश शिक्षा नीति का एक अहम हिस्सा था। मैकॉले ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देने की वकालत की और कहा कि भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने की बजाए अंग्रेजी भाषा के माध्यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • मैकॉले के विचार: मैकॉले का मानना था कि भारतीय समाज में एक नया “क्लास” तैयार किया जाए, जो अंग्रेजों के प्रति वफादार हो और उनकी संस्कृति को समझे।
  • अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार: इस नीति के तहत भारतीयों को अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी विचारधारा की शिक्षा दी गई, जिससे भारतीय समाज में एक नया बुद्धिजीवी वर्ग उत्पन्न हुआ।

वुड का डिस्पैच (1854):- वुड के डिस्पैच को भारतीय शिक्षा का “मैग्ना कार्टा” कहा जाता है। यह ब्रिटिश सरकार की शिक्षा नीति को संगठित करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था। वुड के डिस्पैच के तहत निम्नलिखित बातें प्रमुख थीं:

  • प्राथमिक, माध्यमिक, और उच्च शिक्षा का विकास: शिक्षा के तीन स्तरों को विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया।
  • सरकारी विद्यालयों की स्थापना: वुड के डिस्पैच के तहत भारत में सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना की गई।
  • महिलाओं की शिक्षा: वुड के डिस्पैच ने महिलाओं की शिक्षा पर विशेष जोर दिया और इसे सामाजिक सुधार का एक प्रमुख अंग माना।

ब्रिटिश शासन के तहत शिक्षा प्रणाली में सुधार:- ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए गए, जिनका उद्देश्य भारतीय समाज को पश्चिमी संस्कृति और शिक्षा प्रणाली के अनुरूप ढालना था। इन सुधारों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला।

  • अंग्रेजी भाषा का प्रसार: ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजी भाषा को भारत की शिक्षा का प्रमुख माध्यम बना दिया गया। अंग्रेजी भाषा के माध्यम से भारतीय छात्रों को पश्चिमी विज्ञान, साहित्य, और प्रशासनिक ज्ञान की शिक्षा दी जाने लगी। इसका प्रमुख उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन के लिए एक योग्य कर्मचारी वर्ग तैयार करना था।
  • विश्वविद्यालयों की स्थापना: ब्रिटिश शासन के दौरान 1857 में तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों – कलकत्ता, मद्रास, और बॉम्बे – की स्थापना की गई। इन विश्वविद्यालयों का उद्देश्य भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाना और अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित नागरिकों को तैयार करना था।
  • महिलाओं की शिक्षा का विकास: ब्रिटिश शासन के दौरान महिलाओं की शिक्षा पर भी जोर दिया गया। हालांकि पहले भारतीय समाज में महिलाओं की शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता था, लेकिन ब्रिटिश शासन के तहत महिलाओं के लिए विशेष विद्यालय खोले गए और उनकी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।

ब्रिटिश शिक्षा नीति के प्रभाव:- ब्रिटिशों की शिक्षा नीति के भारत पर गहरे और दीर्घकालिक प्रभाव पड़े। इससे भारतीय समाज में एक नया बुद्धिजीवी वर्ग उत्पन्न हुआ, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, इस नीति के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी थे।

  • भारतीय समाज में विभाजन: ब्रिटिश शिक्षा नीति ने भारतीय समाज में एक नए प्रकार का विभाजन पैदा किया। अंग्रेजी शिक्षित भारतीयों को भारतीय भाषाओं में शिक्षित लोगों से अलग माना जाने लगा। इससे भारतीय समाज में अंग्रेजी जानने वाले लोगों को विशेष सम्मान मिलने लगा।
  • पश्चिमी विचारधारा का प्रभाव: ब्रिटिश शिक्षा के प्रसार ने भारतीय समाज में पश्चिमी विचारधारा को बढ़ावा दिया। इससे भारतीयों के सोचने और समझने का तरीका बदलने लगा। भारतीय बुद्धिजीवियों में स्वतंत्रता, समानता, और न्याय जैसे पश्चिमी विचारों का प्रसार हुआ।
  • स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: ब्रिटिश शिक्षा नीति के तहत तैयार हुआ भारतीय बुद्धिजीवी वर्ग ही बाद में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने लगा। इन बुद्धिजीवियों ने अंग्रेजों की नीतियों का विरोध किया और स्वतंत्रता की मांग की।

निष्कर्ष

“Bihar Board Class 8 History Chapter 7 Notes” के अनुसार, ब्रिटिश शासन के तहत भारत की शिक्षा प्रणाली में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। ब्रिटिशों ने शिक्षा को अपने हितों के अनुसार ढालने का प्रयास किया, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव यह हुआ कि भारतीय समाज में स्वतंत्रता, समानता, और लोकतंत्र के विचारों का प्रसार हुआ। हालांकि, ब्रिटिश शिक्षा नीति के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी थे, जिनसे भारतीय समाज में विभाजन और अंग्रेजी भाषा के वर्चस्व का प्रसार हुआ।

आज के समय में, भारतीय शिक्षा प्रणाली ने अपने पारंपरिक और आधुनिक तत्वों को समाहित करते हुए एक नई दिशा प्राप्त की है। ब्रिटिश शासन द्वारा लाए गए सुधारों ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई सोच को जन्म दिया, जिसने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया।

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